Posts

Shayari and love 1

Image
न जाने क्यों । Shayari and love 1 न जाने क्यों तुम दूर हो फिर भी पास लगते हो , जब भी तुम्हे तलाशता हूँ दुनियाँ के कोने में अक्सर दिल के पास दिखते हो । न जाने क्यों तुम दूर होकर भी पास लगते हो । 【 नवनीत सूर्यवंशी 】

मैं अनाज हूँ कंकरों से भरा ।

मैं अनाज हूँ कंकरों से भरा , पकड़ तराजू तौल ले । रख कर अपने ज्ञान को, कंकर मुझ से निचोड़ दे ।

कुछ बात थी ।

कुछ बात थी कुछ बात थी उनमें कुछ बात थी मुझ में,  फिर भी कुछ खामियां ख़ास थी हम में,  वो हमें समझते थे हम उन्हें समझते थे,  फिर भी छुपी हुई  सायद  कुछ राज थी हम में ।

दोस्ती ।

दोस्ती वो दोस्ती ही कैसी जो लफ्जो की राह तके , वो मोहब्बत ही कैसा जो दिल की न बात समझे,  करके सितम बेशुमार खुद पर मुझे वो बहलाती है,  नफरत दिखा कर मेरी वो परवाह करती है ..।

माँ ।

माँ । अक्सर लिखने को शब्द उपयुक्त होता था आरम्भ उचित मिलता था , जब बात माँ के विषय मे लिखने की आयी तो न आरम्भ समझ आता है न अंत समझ पाता हूँ । फँसा मैं ऐसी मझधार में जहाँ विषय वस्तु चयन नहीं कर पाता हूँ । आरम्भ कहीं से करता हूँ, दूजा प्रमुख पाता हूँ, दूजे को लिखने जाता हूँ, अनंत समुख पाता हूँ । माँ के ममता का उचित आरम्भ नही ढूंढ पाता हूँ उनके छमता का कोई अंत नही आंक पता हूँ । धरातल पर दिव्य उन्हें ही पाता जब प्रभु पूजन को जाता ममता के मूरत का अमिट सृजन उन्हें ही पाता हूँ । ( माँ का न आरम्भ है न अंत ये तो प्रेम है अनंत )

प्रकोप प्रचंड पानी का ।

Image
प्रकोप प्रचंड पानी का हो आया है, वृक्षो का अब अहमियत समझ आया है  ,  पीने का जल जब दूर बहाया था तब संकट कुछ समझ न आया था ,  दौर नया अब आया है  बून्द-बून्द को जब तरसाया है ...।

नूर है इश्क़ की ।

नूर है इश्क़ की बिछड़ कर भी अपनी है , चाँद हो रौशन उनकी फ़रमाइश बस इतनी हमारी है...।