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हमें आरजू नहीं

हमें आरजू नही मेरे खुश रहने की , हमें आरजू है बस तेरे मुस्कुराने की ..।

चुलबुली है वो

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हम मिल न सके

हम मिल न सके बात विश्वास की है , हम खिल न सके बात फरमाइश की है , फिर भी हम हट न सके इश्क़ आजमाइश की है ।

माना कि अपने मन से ।

माना कि अपनी सुनता हूँ अपने मन की करता हूँ , फिर भी औरों से पहले तेरी सुनता हूँ , चाहा था मैंने तुझे ,चाहूँगा हर पल तुझे, फिर भी तुझसे न अब मैं बोलूँगा, तुझको न अब मैं सोचूंगा ।