दोस्ती ।

दोस्ती


वो दोस्ती ही कैसी जो लफ्जो की राह तके ,

वो मोहब्बत ही कैसा जो दिल की न बात समझे, 

करके सितम बेशुमार खुद पर मुझे वो बहलाती है, 

नफरत दिखा कर मेरी वो परवाह करती है ..।

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