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Showing posts from March, 2020

मिट्टी के पुतले ने ठुकराया है ।

मिट्टी के पुतले ने ठुकराया है । मिट्टी के पुतले ने ठुकराया है, रूह आज भी मुझसे ही हँसता होगा । माना कि मैं काबिल नहीं, औरों सा उत्तम नहीं । पर मुझ सा भी तेरा कोई अच्युतम प्रेम ग्राहक नहीं, न ही कोई करीब कहीं । मैं जग से अलग मैं सब से अलग, मैं प्रेम पाठ का वाहक प्रबल हूँ । मुझसा कोई तेरा निज नहीं, तुमसा कोई मेरा सजीव नहीं । © नवनीत सूर्यवंशी अर्थ- मिट्टी के बने शरीर ने मुझे अपनाने से मना कर दिया पर शरीर के अंदर रहने वाला अमर आत्मा मेरा ही आवाहन करता होगा । मानता हूँ कि मुझमे काबिलियत नही है उनके अनुसार और मै उत्तम भी नही हूँ । पर मुझसे अच्छा कोई प्रेम को अपनाने वाले भी नही और न ही कोई मुझसे करीब कोई उनके । मैं संसार से अलग हूँ मैं संसार मे रहने वाले सभी मनुष्यों से भी भीन्न हूँ, मैं प्रेम पाठ को साथ लेकर चलने वाला मजबूत मनुष्य हूँ । मुझ से ज्यादा कोई तुम्हारा अपना नहीं , तुमसे बढ़ कर मेरे लिए कोई दूसरा मनुष्य नहीं । ( माता पिता से बढ़ कर कोई नही हो सकता तो यहाँ प्रेमिका को उनके बाद ही रखा गया है ।)

जब कभी तुम्हारी याद सताती है ।

जब कभी तुम्हारी याद सताती है । जब कभी तुम्हारी याद सताती है तो मैं तकिये के अंदर चला जाया करता हूँ। आहट सुन मैं गाना गुनगुनाया करता हूँ , थोड़ा नासमझ हूँ पर यहाँ समझदारी दिखा अपनो को मुस्कुराया करता हूँ । जब कभी तुम्हारी याद सताती है तो मैं तकिये से अपना चेहरा छुपाया करता हूँ । सुवह उठकर मैं नल पर भाग जाया करता हूँ, फिर चेहरे से जल की धाराओं का निसान हटाया करता हूँ । मैं हर रोज छिपाया करता हूँ, धोखा दे मैं सभी को हँसाया करता हूँ । पर जब कभी तुम्हारी याद सताती है तो मैं तकिये के अंदर चला जाया करता हूँ । © नवनीत सूर्यवंशी