माना कि अपनी सुनता हूँ अपने मन की करता हूँ , फिर भी औरों से पहले तेरी सुनता हूँ , चाहा था मैंने तुझे ,चाहूँगा हर पल तुझे, फिर भी तुझसे न अब मैं बोलूँगा, तुझको न अब मैं सोचूंगा ।
अच्छा चलता हूँ शरारतों को हमारी माफ् करना, दुआओं में अपनी हमें याद रखना , मिल जाऊं अगर मैं किसी मोड़ पर तो मुस्कुरा कर मुझे आबाद करना , अच्छा अब मैं चलता हूँ शरारतों को मेरी माफ् करना दुआओं में अपनी मुझे याद रखना ...।
तेरे होने से गुरुर था मुझे , मेरी जिंदगी कट जाएगी हंसते खेलते, किन्तु इन बहकती हवाओं ने अपना जलवा दिखा दिया , तोड़ कर हमें हमारे मोहब्बत का अंजाम दिखा दिखा दिया ....।