अच्छा चलता हूँ शरारतों को हमारी माफ् करना,
दुआओं में अपनी हमें याद रखना ,
मिल जाऊं अगर मैं किसी मोड़ पर तो मुस्कुरा कर मुझे आबाद करना ,
अच्छा अब मैं चलता हूँ शरारतों को मेरी माफ् करना दुआओं में अपनी मुझे याद रखना ...।
बेकरार ऐ दिल को करार आप से मिलता है , हम चीज क्या है मोहतरमा मेरा हर साँस आप से ही जुड़ा है , ख्वाइस थी अस्तित्व अपनी बनाये रखने की पहचान अपना संजोये रखने का , पर मुकम्मल होना संभव नही सायद शर्तो की इस आजादी में , खैर अस्तित्व भी तो साँसों की मोहताज है साँसे भी तो आप से ही चलती है हमारी ...।
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