माना कि अपने मन से ।





माना कि अपनी सुनता हूँ अपने मन की करता हूँ ,
फिर भी औरों से पहले तेरी सुनता हूँ ,
चाहा था मैंने तुझे ,चाहूँगा हर पल तुझे,
फिर भी तुझसे न अब मैं बोलूँगा,
तुझको न अब मैं सोचूंगा ।

Comments

Popular posts from this blog

#इश्क

जब कभी तुम्हारी याद सताती है ।

बेकरार ऐ दिल ।