चलूँ मैं थम थम के आजम ए गुनाह ।




चलूँ मैं थम-थम के आजम ए गुनाह सिर आया है ,
इश्क हुई जिनसे लफ्जों सितम उन पर ढाया है ।

अल्वता हमे संजोने को हुजूम दौर पड़ा है ,
कोई समझाये उन्हें हमारा दिल किसी और का हो गया है ।

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