बेकरार ऐ दिल ।




बेकरार ऐ दिल को करार आप से मिलता है , 
हम चीज क्या है मोहतरमा मेरा हर साँस आप से ही जुड़ा है , 
ख्वाइस थी अस्तित्व अपनी बनाये रखने की पहचान अपना संजोये रखने का ,
पर मुकम्मल होना संभव नही सायद शर्तो की इस आजादी में ,
खैर अस्तित्व भी तो साँसों की मोहताज है साँसे भी तो आप से ही चलती है हमारी ...।

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