कल को क्यों सोच कर आज घबराते हो ।

कल को क्यों सोच कर आज घबराते हो ।


कल को क्यों सोच कर आज अचंभित हो , 
तुम समर्थ हो विद्वान हो फिर शर्तो की दीवार से क्यो घबराते हो तुम, 
तुम समर्थ हो ज्ञानवान हो फिर आज क्यों डगमगाते हो तुम ...।




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