तुम्हारे गालों की वो डिंपल ।
तुम्हारे गालों की वो डिंपल हर बार छेड़ जाती है मेरे दिल को तुम्हारे होंठों की वो मुस्कान हर बार घेर जाती है मेरे दिल को तुम्हारे बालों को उलझने के बाद सुलझाना रोक जाती है मेरे दिल को सायद ये प्यार तो नहीं ये बात हर बार मोड़ लाती है मुझको सायद यही तो प्यार नहीं ......
Comments
Post a Comment