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प्रकोप प्रचंड पानी का ।

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प्रकोप प्रचंड पानी का हो आया है, वृक्षो का अब अहमियत समझ आया है  ,  पीने का जल जब दूर बहाया था तब संकट कुछ समझ न आया था ,  दौर नया अब आया है  बून्द-बून्द को जब तरसाया है ...।

नूर है इश्क़ की ।

नूर है इश्क़ की बिछड़ कर भी अपनी है , चाँद हो रौशन उनकी फ़रमाइश बस इतनी हमारी है...।

पलकें फूली फूली सी आँखे सूझी सूझी सी ।

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पलकें फूली-फूली सी आँखे सूझी-सूझी सी , मुझको वो अपनी जाली हँसी दिखाती है , अपने गम को मुझसे छुपाती है , अपना प्यार वो मुझे अब भी  दिखती है....।

शुभ हो प्रभात उनकी ।

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शुभ हो प्रभात उनकी रात भी न्यारी हो , खुशियों का आगाज रहे, मधुर मुस्कान प्यारी हो, कदमो को मखमल का स्पर्श मिले, प्रेम से सरोकार रहे ...।

अल्फाजों की आँधी ।

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अल्फाजों की आँधी में कुछ यूं बिखर गए, वो-वो न रहे,हम-हम न रहे , राहे बदल सी गयी कदम ठहर से गये....।

फिजूल नही ये इश्क हमारा ।

फिजूल नही ये  इश्क हमारा , अल्फाज नही ये फितूर हमारा , चाहेंगे आपको तब तक साँसे है हमारी जब तक ..।

धर्म वो निभाने चले ।

त्याग उनके अनमोल है, प्यार उनके अनमोल है । त्याग कर अपनी खुशियाँ धर्म वो निभाने चले । स्थिर पग को उठा कर चले , हिर्दय को पत्थर बना कर चले । त्याग कर अपनी खुशियाँ धर्म वो निभाने चले । अश्रु को अपनी छिपा कर चले , चाहत को अपनी सुला कर चले । त्याग कर अपनी खुशियाँ धर्म वो निभाने चले । हिर्दय को अपनी रुला कर चले , प्रेम को अपनी झुठला कर चले ।