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प्रेम की दास्ताँ ।

अजीब है  ये प्रेम की दास्ताँ हमारी , चाहत है  उनकी बे इम्तहाँ  मुझ से,  दिखती है कभी दिल पे पंखुरियाँ गुलाब की बरसा कर , तो कभी कांटे चुभा कर । उन्हें कोन समझाये चाहत भी हमारी है , प्रेम भी हमारा है  । फिर क्या काँटों का भाग और क्या गुलाब की पंखुरियाँ हमें तो लगती सब एक समान  ...।

दिल तोर कर हमारी ।

दिल तोर कर हमारी चले गए  और फरमाते हैं हमें आपने मनाया नहीं । जरा कोई उन्हें समझाये दिल मेरा टूटा है   दर्द में मेरी धड़कन है  फिर आशा ये कैसी उनकी  हम झोली फैलाये अपनी ...।

आपका मुश्कुराना ।

आपका हँसना मुश्कुराना और खिलखिलाना अच्छा लगता है आपका मुझ पर हक जताना अच्छा लगता है मानो या न मानो आपका शर्मा कर चेहरे छुपाना अच्छा लगता  ......।

दिन के उजियारे में

दिन के उजियारे में तो यूँ ही अपने मिल जाया करते हैं तलाश अक्सर हमे काली अंधेरी रातों में साथ चलने वालों की होती है ....

#हवा #है #हवा #है #बसंती #हवा #है

हवा है हवा है बसंती हवा है राह खुद की वो बनाती चलती है कभी तेज होती है कभी  धीमे सरकती है जो रह कर राह में अकड़  दिखता है साथ उसे ले बढ़ती है हवा है हवा है बसंती हवा है ....... 

#तुझे #देखने #की #चाहत #नही #मुझको

तुझे देखने की चाहत नही मुझको न जाने फिर भी बेकरारी बढ़ जाया करती है क्यो तुमसे दिल लगाने की चाहत नहीं मुझको फिर भी ये गुस्ताखी हो जाया करती है क्यों हर बार तुझसे दुरी बनता हूँ मैं  फिर भी ये फासले घट जाया करती है क्यों ये हकीकत है या अफसाना समझ पता नहीं फिर भी समझने की जिद कर जाया करता हूँ  क्यों तुम्हारे नखरों की झोली है भरी पारी  फिर भी और बढ़ जाया करती है क्यों तुम्हारे यादों को मिटाने की कोसिस करता हूँ मैं फिर न जाने तस्वीरें तुम्हारी बन जाया करती है क्यों तुम्हारी बातों को भूल जाने की ख्वाइश करता हूँ मैं फिर भी बे इम्तहान तसरीफ लाया करती है क्यों .... 

#नजरों के #सामने

आजा तू एक बार नजरों के सामने मेरे, बित गए दिन सेकड़ो बस  याद  में तेरी आजा देखु मैं तेरी वो हलकट सी अदाए  फिर से सवारूँ मैं रेशमी बालो को तेरी आजा एक बार फिर नजरो के सामने तू मेरे .....